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Chapter 45 - "शादी & क्लासरूम में वाइल्ड रोमांस"

अब आगे।।।।।।।।।।।

निशा और विनाश राजस्थान के पुराने मंदिर में आए! निशा ने कसकर विनाश के हाथो को थाम लिया और बोली,

निशा_मुझे बोहोत घबराहट हो रही है।

विनाश_मेरे होते हुए तुझे कोही परेशानी नहीं होगी।

बोलकर निशा को लेकर मंदिर के अंदर चला गया कहा पहले से ही विनाश के खास आदमी शादी के सबकुछ तैयार करके रखा था।

पंडित जी उन्हें देख बोला,

पंडित जी_आइए अब आप दोनो बैठ जाइए।

विनाश और निशा दोनो मंडप में बैठ गए और पंडित जी ने मंत्र पड़ना सुरु कर दिए।

कुछ देर बाद!

     पंडित जी_अब आप बधू के मांग में सिंदूर भरिए और उन्हें मंगल सूत्र पहना दीजिए।

विनाश ने निशा के मांग में सिंदूर भर दिया इसी के साथ निशा के आखों से आसू उसके गालों पर लुड़क आई! फिर विनाश ने मंगल सूत्र पहना दिया।

पंडित जी_शादी संपूर्ण हुआ आज से आप दोनो पति पत्नी हुए।

जिसे सुनकर निशा और विनाश एक दूसरे को देखने लगे।

विनाश के खास आदमी ने पंडित को पैसे देकर सबकुछ समझ दिया था कि किसी को इस शादी के वारेमे पता नहीं चलना चाहिए।

निशा_अब हम कहा चल रहे है?

विनाश_आज हमारे सुहागरात है इसी लिए आज कुछ स्पेशल तो बनता है।

सुहागरात का नाम सुनकर निशा शर्म से शर झुका ली जिसे देखकर विनाश उसके कान में बोला,

विनाश_आज रात मुझे खुदको तेरे अन्दर महसूस करना है।

बोलकर निशा के इयरलॉव को लीक कर लिया।

फिर दोनो कार में बैठे और वह से निकल गए।

बड़े हवेली............,

नालंदा जी अपने बड़े बेटे राजेंद्र जी से बोली,

नालंदा जी_उनका क्या खबर है?

राजेंद्र जी_मैने पता लगाया है रतन सूरज को लेकर मुंबई गया है उसके इलाज के लिए।

नालंदा जी_उसने कुछ और करने के सोचा नहीं?

राजेंद्र जी_अभी तक तो वो चुप है लेकिन मुझे लगता है रतन अभी कुछ नहीं करेगा।

नालंदा जी_ठीक है ध्यान रखना।

राजेंद्र जी_ठीक है मासा।

    दूसरे तरफ!

आनंदी_रुद्र छोड़ो मुझे! तुम मुझे यह क्यू लाए हो?

रुद्र आनंदी को खाली क्लासरूम के अंदर लेकर आया और फिर डोर को बंद करके उसके करीब आते हुए बोला,

रुद्र_क्युकी तुम मेरे बात सुनने को तैयार नहीं हो इसी लिए।

आनंदी_क्युकी मुझे तुमसे कुछ बात करनी ही नहीं थी इसी लिए अब मुझे जाने दो।

रुद्र गुस्से में आनंदी को वॉल से लगाया और उसके ऊपर झुकते हुए बोला,

रुद्र_अब तक में तुमसे प्यार से समझा रहा था लेकिन अब नहीं! तुम उस लड़के के साथ क्या बात कर रहे थे?

आनंदी_उससे तुमको क्या?

रुद्र को ऐसे आनंदी से उल्टा ज़बाब सुनकर और गुस्सा आने लगा जिससे वो आनंदी के बालो को पीछे से मुट्ठी में भरा और आनंदी के होटों पर अपने हॉट रखकर उसे चूमने लगा।

आनंदी रुद्र को धक्का देने लगी लेकिन इसका कोही फायदा नहीं हुआ! रुद्र के सामने आनंदी एक बच्ची की तरह थी।

रुद्र आनंदी के मु को एक्सप्लोर करना चाहता था लेकिन आनंदी अपने होटों को खोल ही नहीं रही थी इसी लिए रुद्र ने आनंदी के उभारों को मुट्ठी में भरकर मसलने लगा जिससे एक आह के साथ आनंदी ने अपने मु को खोल दिया।

आनंदी_अह्ह्ह्हह।

इसी के साथ रुद्र ने अपने जीव को आनंदी के मु में भरकर उसके मु के हर एक कोने को एक्सप्लोर करने लगा।

अब आनंदी भी रुद्र के टच से बहकने लगी थी जिससे उसके हाथ रुद्र के बालो में चली गई।

रुद्र आनंदी का साथ पाकर और वाइल्ड हो गया और उसके होटों को छोड़कर उसके गर्दन और कंधे को चूमने और बाइट करने लगा।

आनंदी_अह्ह्ह्ह अम्मम्मम्म रुद्र।

आनंदी की सिसकी सुनकर रुद्र और उत्तेजित हो गया और आनंदी के कुर्ती को उसके सीने से ऊपर करके उसके ब्रा से उसके उभारों को निकलकर एक को मु में भरकर चूसने लगा तो दूसरे को मुट्ठी में भरकर मसलने लगा।

आनंदी ने कस कर रुद्र के बालो को पकड़ लिया! आज जिंदगी में वो ये सबकुछ पहली बार अहसास कर रहा था जिससे उसके लिए ये सब पाना मुश्किल हो रहा था।

रुद्र ने आनंदी के दोनो उभारों को पूरे तरह से लाल कर दिया था! रुद्र इससे पहले और आगे बढ़ पता की उसके मोबाइल रिंग करने लगा जिसे सुनकर दोनो ही अपने होश में आए।

आनंदी जल्दी जल्दी अपने कपड़े को सही करने लगा वही रुद्र ने कॉल पिक कर किसी से बात किया फिर कॉल को कट कर दिया।

रुद्र ने आनंदी को देखा तो उसने अब तक अपने कपड़े को सही कर लिया था।

रुद्र ने आनंदी के ठुड्ढी को पकड़कर ऊपर किया और आखों में आंखे डालकर बोला,

रुद्र_तुम चाहो ये फिर ना चाहो तुम्हे होना सिर्फ मेरा ही होगा।

फिर रुद्र साइड हो गया और आनंदी क्लासरूम से निकल गई।

छोटी हवेली...........,

अम्बा जी_बिंद्नी रतन का कोही खबर आया है क्या की वो लोग पाउच गए की नहीं?

कुंती जी_हा मासा वो लोग पाउच गए।

अम्बा जी_अच्छा ठीक है।

फिर गौरी से बोली,

अम्बा जी_बिंदनी इंद्र नहीं आया खाने?

गौरी_वो दादी सा वो उन्होंने कहा है कि में उनका खाना कमरे में ले जाऊं।

अम्बा जी_ठीक है तो तू भी अपना खाना कमरे में ले जा दोनो एक साथ बैठ खाना खा लेना।

गौरी_जी।

फिर गौरी ने दोनों प्लेट पर खाना लगाया और उसे लेकर कमरे को तरफ चलो गई।

गौरी के जाने के बाद अम्बा जी कुंती जी से बोली,

अम्बा जी_में क्या सोच रही थी कि क्यू ना इंद्र और गौरी बिंदनी को कुछ दिन के लिए घूमने ले जाए शादी के बाद से वो बस इस हवेली में ही अटक कर रह गई है।

कुंती जी_सही कहा अपने मासा।

अम्बा जी_तो में आज ही इंद्र से बात करता हूं! अकेला समय बताएगी तभी तो हमें अपना पर पोता ये फिर पर पोती मिलेगी।

कुंती जी_मासा आप भी ना।

इंद्र के रूम में............,

गौरी कमरे में आते हुए बोली,

गौरी_ये जी खाना ले आए है!

गौरी इससे आगे कुछ बोल पाती की उसके आंखे एक दम से बाहर आने को हुई! क्युकी इंद्र सिर्फ टॉवेल में मिरर के सामने अपने बाल बना रहा था।

गौरी खाने के प्लेट को टेबल पर रखा और बोली,

गौरी_वो जी आपका खाना।

इंद्र आया और सोफे पर बैठ गया और गौरी से बोला,

इंद्र_आज मुझे तेरे हाथ से खाना है! चल आ मुझे खिला।

बोलते हुए इंद्र ने गौरी को अपने थाई पर बैठने का बोला।

गौरी जानती थी इंद्र कितना जिद्दी था इसी लिए वो चुप चाप खाने के प्लेट लेकर इंद्र के गोद में आकर बैठ गई।

गौरी ने इंद्र को खिलने लगा जिसे देखकर इंद्र बोला,

इंद्र_तू भी खा।

गौरी इंद्र को खिलने के साथ साथ खुद भी खाने लगी! इसी बीच इंद्र ने उसके ब्लाउज की हुक को खोलकर उसके दोनो उभार को बाहर निकल लिया।

गौरी_ये जी ये आप!

इंद्र_तू सिर्फ मारे को खाना खिला बाकी का में देख लूंगा।

बोलकर इंद्र ने गौरी के एक उभार को मुट्ठी में भरकर मसलने लगा तो दूसरे को में में भरकर खाने के साथ उसे चूसने लगा जिससे गौरी के लिए बदन कप रही थी जिसे देखकर इंद्र को बहुत मजा आ रहा था।

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